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नमस्कार दोस्तों,  आज हम बात करेंगे भारतीय टीम के उस भुतपूर्व खिलाड़ी के बारे में जो उस दौर का सबसे चर्चित खिलाड़ियों में से एक रहा. अद्भुत प्रतिभा होने के कारण भी यह बेहतरीन बल्लेबाज उस ऊंचाइयों को नहीं छु पाया. जिसका वह सही मायने में हक़दार था.

जी हां हम बात कर रहे हैं भारतीय भूतपूर्व बल्लेबाज विनोद vinod kambli के बारे में. विनोद कांबली को लोग आज भी जानते हैं. उनके और सचिन तेंदुलकर के स्कूल मैच में की गई 664 रनों की रिकॉर्ड तोड़ साझेदारी के लिए. और वर्ल्डकप1996 में सेमीफाइनल में मिली ह़ार के बाद विनोद कांबली के आखों से निकले हुए आंसुओं के लिए.


 
Vinod Kambli Biography in Hindi

Vinod Kambli Family

vinod kambli का जन्म 18 जनवरी 1972 मैं मुंबई में हुआ. विनोद का पूरा नाम विनोद गणपतराव कांबली है. विनोद के पिताजी का नाम “गणपत कांबली” और माताजी का नाम “विजया कांबली” था. कांबली के परिवार में उनके तीन भाई वीरेंद्र कांबली, विद्याधर कांबली, विकास कांबली और एक बहन विद्या कांबली भी थी.

विनोद कांबली के पिताजी गणपत कांबली पेशे से एक मेकेनिक थे.इसलिए लाजमी था उनकी घर की हालत काफी खराब थी. इतने बड़े परिवार का काफी मुश्किल से गुजारा होता था. मुझे यकीन है आपको पता नहीं होगा कि vinod kambli के पिताजी को भी क्रिकेट में काफी रूचि थी. और वह एक तेज गेंदबाज़ हुआ करते थे. उनके वक्त वह मुंबई के ऐक क्रिकेट क्लब के लिए क्रिकेट भी खेला है.

विनोद कांबली ने अपनी शुरुआती शिक्षा “शारदाश्रम विद्यालय” मुंबई से पूरी की और वही स्कूल में गॉड ऑफ क्रिकेट “सचिन तेंदुलकर” भी पढ़ते थे. और दोनों कों उसी वक्त से क्रिकेट बेहद पसंद था. इसी के कारण दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए. और साथ-साथ ह़ी क्रिकेट का अभ्यास भी करने लगे. और दोनों में भी प्रतिभा की भरमार थी.

इसी का उदाहरण है कि मुंबई के चर्चित “कांगा लीग” में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने विश्व क्रिकेट को चौकते हुए. शारदाश्रम विद्यालय से खेलते हुए 664 रनों की रिकॉर्ड तोड़ साझेदारी की. जिसमें सचिन तेंदुलकर ने 326 रन और विनोद कांबली ने नॉटआउट 350 रनों की शानदार पारी खेली.और पूरे क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया. और सबसे रोचक बात यह है की इसी मैच में विनोद कांबली ने 6 विकेट भी हासिल किए थे.

इससे आप उनकी प्रतिभा का अंदाजा लगा सकते हैं. इस प्रदर्शन को देखते हुए सचिन तेंदुलकर को 1988 में मुंबई की तरफ से रणजी क्रिकेट के लिए चुना गया. पर vinod kambli को 1 साल रुकना पड़ा. और फिर 1989 में विनोद कांबली को भी मुंबई के रणजी टीम में शामिल कर लिया गया.

और आपको जानकर हैरानी होगी कि विनोद कांबली ने अपने पहले ही मैच के पहले ही गेंद पर सिक्स लगा दिया. और घरेलू क्रिकेट में कांबली ने लगातार तीन साल बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे. और ईसी का तोफ़ा उन्हें थोड़ी देर से मिला पर मिला.

1991 में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल कर लिया गया.

Vinod Kambli Career

घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बाद एकदिवसीय क्रिकेट में विनोद कांबली का चयन हुआ.

उन्होंने अपना पहला एकदिवसीय मैच 18 अक्टूबर 1991 को शारजाह में पाकिस्तान के खिलाफ खेला. पर इस मैच में vinod kambli को बल्लेबाजी करने का मौका ही नहीं मिला.पर धीरे-धीरे विनोद कांबली ने अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान अपनी तरफ खींचने लगे. उसी दौर में सचिन तेंदुलकर काफी संघर्ष करते हुए दिखाई दिए थे.और सभी का यह मानना था कि सचिन तेंदुलकर से ज्यादा प्रतिभा विनोद कांबली में है.

और यह उनके प्रदर्शन में दिख भी रहा था. vinod kambli ने अपना पहला एकदिवसीय शतक 18 जनवरी 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ ठोक दिया. जयपुर में खेले ईस मैच विनोद कांबली 149 गेंदों में 9 चौके और 1 सिक्स की मदत 100 रनों की शानदार पारी खेली.विनोद कांबली ईस तरह की छोटी/बडी परिया खेलते रहे. पर उनके प्रदर्शन में लगातार उतार चढ़ाव भी आते रहे. इसलिए उन्हें भारतीय टीम में इनआउट भी चलता रहा.

इसी दौर में vinod kambli को 1992/96 के वर्ल्ड कप में भी खेलने का मौका मिला.पर उन्हें याद किया जाता है. 1996 world cap के लिये. ईस वर्ल्डकप में उन्होंने अपना दूसरा शतक भी लगाया.जिंबाब्वे के खिलाफ खेले गये ईस मैच में कांबली 110 गेंदों में 11 चौकों की मदद से शानदार 106 रन बनाये.

पर ईस वर्ल्ड कप में सबसे यादगार मैच रहा सेमीफाइनल में श्रीलंका के खिलाफ खेला गया. यह मैच विनोद कांबली के दिल के काफी करीब है. शायद ही यह मुकाबला विनोद कांबली जिंदगी भर भूल नहीं पाएंगे.भारतीय क्रिकेट भी मैदान पर निकले vinod kambli के आंसू नहीं भूल सकती.

यह बात है 13 मार्च 1996 की जब भारतीय टीम वर्ल्ड कप जीत के काफी करीब आ गई थी. और सभी को उम्मीद थी कि भारतीय टीम सेमीफाइनल में श्रीलंका को हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की करेगी.और इस मैच में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम के सामने 50 ओवरों में 252 रनों का लक्ष्य दिया. इसका पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने जल्दी ही नवजोत सिंह सिद्धू की विकेट खो दी.

पर बाद में सचिन तेंदुलकर और संजय मांजरेकर के बीच 90 रनों की बहुमूल्य साझेदारी हुई. और भारतीय टीम की जीत काफी आसान दिखने लगी. तभी 98 रनों पर तेंदुलकर की विकेट विकेट गिरने के बाद भारतीय पारी लड़खड़ा गई.और लगातार विकेट गिरते रहे और 120 रन पर भारतीय टीम ने 8 विकेट खो दिए.दूसरी तरफ संयम से vinod kambli यह सब देख रहे थे.

तभी ईडन गार्डन मैदान पर मैच देखने आए दर्शकों ने वहां हंगामा करना चालू कर दिया. और इस कारण मैच रोकना पड़ा. बहुत समय बीत गया पर दर्शकों का हंगामा जारी रहा. ईस समस्या को देखते हुए. स्तिथी के अनुसार मैच रेफरी ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया.

यह अंपायर का निर्णय सुनने के बाद 29 गेंदों में 10 रन पर खेल रहे vinod kambli की आंखों से आंसू निकल आये. भारतीय टीम की हार से वह बेहद दुखी होकर रोते-रोते ही पवेलियन में लौट गए.

पर आगे इस वर्ल्ड कप के बाद भी विनोद कांबली की मुश्किलें बढ़ती गई.और वह अपने प्रदर्शन से सातत्य नहीं रख पाए. और टीम में इनआउट होते रहे. उन्होंने लगभग 9 बार भारतीय टीम में वापसी की. फिर भी वह टीम में अपनी जगह पक्की नही कर पाए.

विनोद कांबली ने अपना आखरी एकदिवसीय मैच साल 2000 को शारजाह में श्रीलंका के खेला. वहा वह महज 3 रन बना पाये.

vinod kambli one-day career में कुल 104 एकदिवसीय मैच खेले. जहां उन्होंने 2 शतक और 14 अर्धशतक की मदद से 32.59 की औसत से 2470 रन बनाए. (सर्वश्रेष्ठ-106)

एकदिवसीय क्रिकेट करियर की तरह ही टेस्ट क्रिकेट में भी शुरुआत में विनोद कांबली का बेहद शानदार प्रदर्शन रहा. पर यहा पर भी उनका करियर भी बेहद कम समय के लिए रहा. मगर शानदार रहा.एकदिवसीय करियर के शुरुआत के बाद लगभग 2 साल बाद उन्हें टेस्ट टीम में शामिल कर लिया गया. 29 जनवरी 1993 को इंग्लैंड के खिलाफ vinod kambli ने अपना पहला टेस्ट खेला.

वहा विनोद कांबली कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए और पहली पारी में 16 रन और दूसरी पारी में केवल 18 रन ही बना पाए.पर वानखेड़े स्टेडियम पर विनोद कांबली ने अपने तीसरे ही टेस्ट में बेहद शानदार बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला दोहरा शतक जड़ दिया. वानखेड़े मैदान पर खेले गए इस टेस्ट मैच में vinod kambli ने 411 गेंदों में 23 चौकों की मदद से 224 रनों की बेहतरीन पारी खेली.

विनोद कांबली यहीं नहीं रुके अपने अगले और चौथे टेस्ट में भी फिर उन्होंने दोहरा शतक जड़ दिया. “अरुण जेटली स्टेडियम” में जिंबाब्वे के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में विनोद कांबली महज 301 गेंदों में 28 चौकों की मदद से 257 रनों की पारी खेली.

टेस्ट क्रिकेट में लगातार दो दोहरे शतक लगाने वाले vinod kambli उस वक्त पहले भारतीय बल्लेबाज थे.

इसके बाद भी उनका यह जलवा जारी रहा. और अपने छठे और सातवें टेस्ट में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए. श्रीलंका के खिलाफ खेले गये इन दोनों मुकाबलों में पहले टेस्ट में 125 रन और दूसरे टेस्ट में 120 रन बनाए. और अपनी प्रतिभा का सबूत दिया.और महज 14 टेस्ट में 1000 रन बनाने और सबसे तेज 1000 रन बनाने वाले खिलाड़ी बने. पर यहां पर भी vinod kambli की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. और अपने टेस्ट करियर केवल 17 मैच ह़ी खेल सके.

उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच 8 दिसंबर 1995 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला.और ईस मैच में वह केवल 28 रन ह़ी बना पाए.

vinod kambli test career में कुल 17 टेस्ट मैच खेले जहां उन्होंने 4 शतक और 3 अर्धशतक 54.20 की औसत से 1084 रन बनाए. सर्वश्रेष्ठ-227 रन.

Vinod Kambli Fact

विनोद कांबली यह शानदार खिलाड़ी जितना अपने खेल से उतना ही अपने लाइफ स्टाइल से चर्चाओं में रहा.

विनोद कांबली की निजी जिंदगी की बेहद रोचक और स्टाइलिश रही.बात करें vinod kambli wife के बारे में तो विनोद कांबली ने पहले अपनी पहली शादी की 1998 में Noella Lewis से. Noella Lewis पुणे के होटल ब्लू डायमंड में एक रिसेप्शनिस्ट की जॉब करती थी. जब vinod kambli पुणे में क्रिकेट खेलने आते थे. तो वहीं होटल में रुकते थे और वही दोनों की मुलाकात हुई दोनों में अच्छी दोस्ती हुई और धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई.

और 1998 में दोनों ने शादी कर ली. पर यह रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चला. और बाद में वह दोनों अलग हो गए.

बाद में उनकी जीवन में आई vinod kambli wife Andrea Hewitt वह पेशे से एक फैशन मॉडल है. विनोद कांबली और Andrea Hewitt ने 2006 में शादी कर ली. और 2010 को उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम Jesus Christiano Kambli रखा गया.

Vinod Kambli Film Career

आप सब को तो पता ही है हिंदुस्तान में क्रिकेट और फिल्म जगत का नाता कितना पुराना और गहरा है. हमने कई खिलाड़ी देखे है जैसे सुनील गावस्कर, संदीप पाटिल, अजय जडेजा जैसे क्रिकेटरों ने फिल्मों में अभिनय भी किया है. इससे vinod kambli कैसे छूट सकते थे.उन्होंने भी फिल्म जगत में अपना हाथ आजमाया.

2002 में विनोद कांबली ने “अनर्थ” नामक फिल्म से हिंदी फिल्म जगत में अपना आगाज किया.वहां उनके साथी कलाकार थे सुनील शेट्टी, संजय दत्त, और प्रीति झंगियानी. जैसे बड़े कलाकारों के साथ काम किया. पर यह फिल्म कुछ खास नहीं कर पाई और बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई.

फिर लंबे समय के बाद उन्होंने 2009 में अपनी दूसरी फिल्म “पल पल दिल के पास” में अभिनय किया. इस फिल्म में उनके साथी थे क्रिकेट के ही मशहूर सितारे अजय जडेजा पर यह फिल्म भी दर्शकों को पसंद नहीं आई. अपनी दूसरी फिल्में भी vinod kambli असफल रहे और यह फ़िल्म भी फ्लॉप हो गई. पर फिल्मों के साथ-साथ विनोद कांबली ने राजनीति में भी अपना नसीब आजमाया.

2009 में विक्रोली.मुंबई (महाराष्ट्र) विधानसभा का चुनाव “लोक भारतीय पार्टी” से लड़ा पर इस चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. क्रिकेट, फिल्मों, के साथ साथ राजनीति में भी उन्हें असफलता ही हाथ लगी.

Vinod Kambli Record / Achievements

(1) विनोद कांबली कुछ ऐसे चुनिंदा बल्लेबाजों में आते हैं. जिन्होंने अपने जन्मदिन पर एकदिवसीय क्रिकेट में शतक लगाया हो.

(2) भारतीय टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 1 हजार रन बनाने का रिकॉर्ड विनोद कांबली के नाम पर है.

(3) स्कूल मैच में केवल 17 साल की उम्र में विनोद कांबली ने सचिन तेंदुलकर(16) के साथ मिलकर रिकॉर्ड 664 रनों की साझेदारी की है.

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